दोस्तों जिन दिनों भारतीय वर्चस्व आधा पतन के गर्त में औंधे मुंह गिर पड़ा था और उसकी दुर्दशा से दूरवर्ती क्षेत्रों में विविध विश्व नारकीय विकृतियां उत्पन्न हो रही थी उन्हीं दिनों एक महान क्रांति का अवतरण अर्थात जन्म हुआ यह क्रांति भगवान बुद्ध के नेतृत्व में प्रकट हुई हेलो दोस्तों मैं हूं रवि मालवीय और आप देख रहे हैं ब्लॉगर rv आज हम बात करने वाले हैं अपनी इस आर्टिकल में बहुत धर्म के बारे में आज बात करेंगे महात्मा बुध की बताएंगे आपको किस प्रकार महात्मा बुध का जन्म हुआ कैसे बौद्ध धर्म का उदय हुआ और बताएंगे साथ ही साथ आपको बोद्ध धर्म से जुड़े कुछ रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं Game of thrones all season explain in hindi click here
गौतम बुद्ध और बुद्ध धर्म की स्थापना के बारे में जाने।
भगवान गौतम बुद्ध की जीवन शैली ।
पहले आप को बतलाते हैं बौद्ध धर्म के संस्थापक माने जाने वाले महात्मा बुद्ध के बारे में दोस्तों बौद्ध धर्म की स्थापना महात्मा बुद्ध ने की थी बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था उनके माता का नाम महामाया और पिता का नाम सुबोधन था जो शाक्य वंश के
बुध को साक्यमुनि भी कहा जाता है सिद्धार्त की माता की मृत्यु के पश्चात इनका पालन-पोषण इनकी मौसी गौतमी ने की थी महात्मा बुध का जन्म 563 पूर्व नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के लुंबिनी नामक गांव में हुआ था महात्मा बुध का विवाह यशोधरा नाम की कन्या से हुई थी जिससे उन्हें एक पुत्र हुआ जिसका नाम राहुल था कहा जाता है कि एक बार राज्य भ्रमण के दौरान एक जर्जर शरीर धारी विरूद्ध एक रोग ग्रस्त व्यक्ति एक मृत व्यक्ति और एक सन्यासी को देखकर सिद्धार्थ के मन में सांसारिक सुखों की व्यवस्था में विश्वास हो गया दोस्तों पुत्र के जन्म के पश्चात 29 वर्ष की आयु में बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के लिए अपना घर परिवार त्याग बौद्ध ग्रंथों में इसे महाभिनिष्क्रमण लगभग 6 वर्षों तक महात्मा बुद्ध भटकते रहे इस दौरान एक सन्यासी पहले अलार्म कलाम ने उन्हें ध्यान योग सिखाया
इसके बाद उन्होंने राज्य गृह में उद्धत अथवा ब्रह्मपुत्र की शिक्षा ग्रहण की दुआ चारों से शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी उन्हें संतोष नहीं हुआ 35 वर्ष की अवस्था तक भटकने के पश्चात गया के निकट महात्मा बुद्ध के एक भी पल या बोधी के ब्रिज के नीचे सत्य की प्राप्ति के लिए तपस्या करने के बाद 19 में दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ बुद्ध कहलाए बुध का अर्थ होता है दोस्तों प्रबुद्ध व्यक्ति जिसने सत्य को पा लिया हो बौद्ध ग्रंथों में बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति को निर्वाण कहा जाता है दोस्तों महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश वाराणसी के निकट सारनाथ में पांच ब्राह्मणों को दिया था बौद्ध परंपराओं में इसे धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है सारनाथ में ही बौद्ध संघ की स्थापना हुई महात्मा बुद्ध द्वारा पहले बिछा दिए गए स्थितियों में राजगीर के सारे पुत्र और मुगलान प्रसिद्ध हैं महात्मा बुद्ध
अन्य आनंद जोकि बुध के मुख्य शिष्य और सांची कहे जाते हैं कश्यप जो कि महात्मा बुद्ध के शिशुओं में सर्वाधिक शिक्षित माने जाते हैं उपाली जो कि विनय के विद्वान और एक घनी युवक यस प्रमुख महात्मा बुद्ध के समय में अनेक राजाओं जैसे कौशल के प्रश्न जीत तथा मगध के बिंबिसार एवं अजातशत्रु उदयन आदि ने उनकी मान्यता दी और उनके शिष्य ने महात्मा बुध का सारथी का नाम जानना था उनके घोड़ा का नाम गंधक महात्मा बुद्ध को ज्ञान योग सिखाने वाले आहार कलाम एम खिलाने वाली कन्या का नाम सुजाता था महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित प्रमुख व्यक्ति थे दोस्तों महात्मा बुध की मृत्यु 13 साल की उम्र में 483 ईस्वी पूर्व वर्तमान उत्तर प्रदेश के कुशीनगर पावा जिले में उदार बिखर के कारण हुई बौद्ध परंपराओं में महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है महात्मा बुद्ध
अंतिम उपदेश सुभद्र नामक धर्मशील परिवार जग अर्थात बिच्छू तथा उनके प्रिय शिष्य आनंद ने सुने थे उनके आखिरी शब्द के दोस्तों सभी वस्तुएं छरणशील है ।और व्यक्ति को अपना पथ प्रदर्शक स्वयं होना चाहिए इसके बाद महात्मा बुद्ध की मृत्यु हो गई महात्मा बुध प्रज्ञा व करुणा के मूर्ति थे बुद्ध ने सुनी दृश्य सिद्धांतों के बजाय तार्किक आध्यात्मिक विकास की बात कही महात्मा बुद्ध ने वेदों का खंडन किया बसों का विरोध अर्थ कम कर दो की भी निंदा की और जाति प्रथा पुरोहित वर्ग को चुनौती दी इसके बारे में आगे वादी अर्थात निर्गुण रुख अपनाया दोस्तों बौद्ध धर्म की मान्यताओं के अनुसार मनुष्य के जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए निर्वाण निर्वाण का अर्थ है दोस्तों दीपक का भूल जाना अथवा अपनी सभी तृष्णा और वेदना ओं का अंत या जीवन मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जा
बुधनी दूसरे सिद्धांत पर भी काफी बल दिया हुआ है कर्म का सिद्धांत इसकी कार्यप्रणाली एवं पूर्ण जन्म बौद्ध धर्म पूर्व जन्म में विश्वास करता है इसके अनुसार वर्तमान और आगामी जीवन में मानव की स्थिति उसके अपने कर्म पर निर्भर करती है परंतु बौद्ध धर्म के अनुसार दोस्तों कर्म फल को अगले जन्म में ले जाने वाला माध्यम आत्मा नहीं है कर्मफल चेतना के रूप में पूर्व जन्म का कारण होता है हम अपने कर्म फल की प्राप्ति के लिए ही बार-बार जन्म लेते हैं यही कर्म का सिद्धांत है अपने पाप कर्मों से निवृति के साथ ही इस चक्र से छुटकारा मिल जाता है तथा इसी को मोक्ष प्राप्ति कहते हैं तो यह था दोस्तों बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध की कहानी और चलिए अब बात करते हैं बौद्ध धर्म से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में दोस्तों धर्म की उत्पत्ति ईसाई और इस्लाम धर्म के बाद
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन जापान कोरिया थाईलैंड कंबोडिया श्रीलंका नेपाल भूटान और भारत आदि देशों में रहते हैं गुप्त काल में या धर्म यूनान अफगानिस्तान और अरब के कई हिस्सों में फैल गया था किंतु ईसाई और इस्लाम के प्रभाव के चलते इस धर्म को मानने वाले लोग उक्त इलाकों में अब नहीं के बराबर ही हैं 2 शब्दों में बौद्ध धर्म को व्यक्त किया जा सकता है वह है अभ्यास और जागृति बौद्ध धर्म को का धर्म कहा जाता है कर्म ही जीवन में सुख और दुख लाता है सभी कर्म चक्र से मुक्त हो जाना ही मोक्ष है कर्म से मुक्त होने या ज्ञान प्राप्ति हेतु मध्यम मार्ग अपनाते हुए व्यक्ति को चार आर्य सत्य को समझते हुए अष्टांग मार्ग का अभ्यास करना चाहिए यही मोक्ष की प्राप्ति का साधन है बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध धर्म के मुख्य दो
और महायान वैशाख माह की पूर्णिमा का दिन पौधों का प्रमुख त्यौहार होता है बौद्ध धर्म के मुख्य चार तीर्थस्थल है लुंबिनी बोधगया सारनाथ और कुशीनगर बौद्ध धर्म की धर्म ग्रंथ को त्रिपिटक कहा जाता है दोस्तों अगर बौद्ध साम्राज्य की बात की जाए तो महात्मा बुद्ध के समय किसी भी प्रकार का कोई पद या संप्रदाय नहीं था किंतु बुध के निर्वाहन के बाद अर्थात बुद्ध की मृत्यु के बाद द्वितीय बौद्ध संगति में विश्व में मतभेद के चलते इसके दो भाग हो गए पहले को ज्ञान और दूसरे को महायान कहते हैं महायान अर्थात बड़ी गाड़ी किया नौका और हीनयान अर्थात छोटी गाड़ी या नौकायान को बाद भी कहते हैं महायान के अंतर्गत बौद्ध धर्म की एक दूसरी शाखा थी जिसका नाम ब्रज यान था सेनाओं की तो आदि अनेकों बौद्ध संप्रदाय भी उक्त दो संप्रदाय के अंतर्गत ही मान
बोद्ध धर्म के बारे में ओर उनके नियम ।
चलिए अब आप को बतलाते हैं बौद्ध धर्म के बारे में दोस्तों बौद्ध धर्म के मूल चार तत्व हैं महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा में दिए थे जो बौद्ध धर्म ग्रंथों में संकलित हैं दोस्तों बौद्ध धर्म ग्रंथ त्रिपिटक के तीन भाग हैं जो है विनय पिटक सुत्त पिटक और अभी धाम पिटक क्विटको के अंतर्गत उपग्रहों की विशाल श्रृंखलाएं ट्विटर के पांच भागों में से एक खुद एक निकाय की 15 रचनाओं में से एक है धम्मपद ज्यादा प्रचलित है और चलाते हैं कि भारत में बौद्ध तीर्थस्थल मुख्यतः कहां कहां हैं दोस्तों लुंबिनी बोधगया सारनाथ कुशीनगर किए चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल है जहां विश्व भर के अन्य त्योहारों पर इकट्ठा होते हैं सिर्फ नेपाल में है बोधगया भारत के बिहार में है सारनाथ भारत के उत्तर प्रदेश के काशी के पास है कुशीनगर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास का एक जिला है और दोस्तों अगर भाव
की बात की जाए तो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान भी प्राप्त हुआ था तथा इसी दिन उन्होंने देवी छोड़ी थी निर्वाहन प्राप्त किया था इसीलिए उस पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती और निर्वाहन दिवस मनाया जाता है इसके अलावा आषाढ़ की पूर्णिमा का दिन भी पौधों का प्रमुख त्योहार है उसका इतिहास और चलते चलते एक ज्ञान की बात महात्मा बुद्ध कहा करते थे कि हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा यह है कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो फिर जीत हमेशा तुम्हारी है इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता ना स्वर्ग दूध और नाराज आशा करते हैं आपको हमारा वीडियो पसंद आया होगा अगर आपको इस चैनल पर दी गई जानकारी पसंद आती है तो आप हमारे वीडियो को लाइक कीजिए शेयर कीजिए हमारे वीडियो को वायरल कमेंट कीजिए कि आपको यह कैसा लगता है आपका एक कमेंट हमें अच्छी से अच्छी वीडियो
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